जो शाएरात के चक्कर में इश्क़ करते हैं वो सिर्फ़ बात के चक्कर में इश्क़ करते हैं गुज़ारिशात के चक्कर में इश्क़ करते हैं सभी ममात के चक्कर में इश्क़ करते हैं शिकस्तगी के सताए हुए ज़माने में दिल-ए-सबात के चक्कर में इश्क़ करते हैं मैं इख़्तियार के हर मरहले से बाहर हूँ वो अपनी घात के चक्कर में इश्क़ करते हैं जिन्हें कभी किसी मुश्किल का सामना न हो वो मुश्किलात के चक्कर में इश्क़ करते हैं ये इश्क़ प्यार मोहब्बत नहीं कोई कुछ भी सुहाग-रात के चक्कर में इश्क़ करते हैं ज़माना ख़ुद ही तलबगार हो रहा उन का जो मो'जिज़ात के चक्कर में इश्क़ करते हैं ये मौत मा'नी नहीं रखती कोई भी अपना सभी हयात के चक्कर में इश्क़ करते हैं कहीं मिलेगा कोई तो सुराग़ दुनिया का सो काएनात के चक्कर में इश्क़ करते हैं मैं 'माहताब' हूँ निकला हूँ जीतने उस को सभी तो मात के चक्कर में इश्क़ करते हैं