हो गए हम शिकार फूलों के हैं ग़ज़ब इख़्तियार फूलों के मेरी तन्हाइयाँ बताती हैं फूल होते हैं यार फूलों के एक मंज़िल है मुख़्तलिफ़ राहें रंग हैं बे-शुमार फूलों के आज फूलों के आलमी दिन पर उस ने भेजे हैं ख़ार फूलों के फूल हैं शेर बू-ए-गुल धुन है हम हैं नग़्मा-निगार फूलों के