कम नहीं हम बूझते का'बे से मयख़ाने के तईं सज्दा हम करते हैं जूँ मेहराब पैमाने के तईं है ये दिल नासेह बुताँ का जल्वा-गाह इस से न बोल तोड़ मत संग-ए-जफ़ा से इस परी-ख़ाने के तईं हिज्र में जीने से बेहतर है हलाक-ए-रोज़-ए-वस्ल ये तरह क्या ख़ूब रास आई है परवाने के तईं लाइए मय करती है ता'मीर दिल-हा-ए-ख़राब ता-अबद रखियो ख़ुदा मा'मूर मयख़ाने के तईं उठ गया कहते हैं दीवाना 'यक़ीन' दुनिया से हाए उन ने क्या आबाद कर रक्खा था वीराने के तईं