हो गया अबरू की सफ़्फ़ाकी से शोहरा यार का काम कर जाए सिपाही नाम हो सरदार का कूचा-ए-शह-रग से क्या तेरा महल नज़दीक है दम गले में आ के अटका है तिरे बीमार का मिस्ल-ए-ईसा उन की ख़िदमत में रसाई हो गई पढ़ गए कोठे पे हम ज़ीना लगा किरदार का रात को आँखों के नीचे फिर गई तस्वीर-ए-यार वाह क्या चमका सितारा दीदा-ए-बेदार का 'क़द्र' क्या इस्लाह-ए-'ग़ालिब' से मिरी शोहरत हुई वो मसल है बाढ़ काटे नाम हो तलवार का