हो कैसे किसी वादे का इक़रार रजिस्टर्ड जब ख़ुद ही नहीं है मिरी सरकार रजिस्टर्ड क्या शैख़ ओ बरहमन पे करे कोई भरोसा तस्बीह रजिस्टर्ड न ज़ुन्नार रजिस्टर्ड इस जुम्बिश चितवन से कोई बच नहीं सकता क़ातिल का मिरे होता है हर वार रजिस्टर्ड चाहे भी तो अब तर्क-ए-तग़ाफ़ुल नहीं मुमकिन है दोस्त की ग़फ़लत का ये आज़ार रजिस्टर्ड मुद्दत हुई दम तोड़ दिया अम्न-ओ-अमाँ ने अब हो गए ये हश्र के आसार रजिस्टर्ड हो पाया तिरे हुस्न-ए-तलव्वुन के करम से इक़रार रजिस्टर्ड न इंकार रजिस्टर्ड दुनिया है मिरी तेग़ का माने हुए लोहा है सारे ज़माने में ये तलवार रजिस्टर्ड तुझ पर तिरे हर फ़ेल पर उठने लगी उँगली तू ख़ुद है गज़ेटेड तिरा किरदार रजिस्टर्ड अब हुस्न-फ़रोशी के लिए मिस्र के बदले भारत में है नख़्ख़ास का बाज़ार रजिस्टर्ड तू लाख करे चेहरा-ए-ज़ेबा की नुमाइश होगा न तिरे हुस्न का मेआर रजिस्टर्ड चढ़ता है इरादा मिरा प्रवान तह-ए-तेग़ होता है मिरा अज़्म सर-ए-दार रजिस्टर्ड बैठा हुआ सिक्का है मिरी फ़िक्र-ए-सुख़न का ऐ 'शौक़' न हों क्यूँ मिरे अशआर रजिस्टर्ड