हो काश वफ़ा वादा-ए-फ़र्दा-ए-क़यामत आएगी मगर देखिए कब आए क़यामत सुनता हूँ कि हंगामा-ए-दीदार भी होगा एक और क़यामत है ये बाला-ए-क़यामत हम दिल को इन अल्फ़ाज़ से करते हैं मुख़ातब ऐ जल्वा-गह-ए-अंजुमन-आरा-ए-क़यामत अल्लाह बचाए ग़म-ए-फ़ुर्क़त वो बला है मुनकिर की निगाहों पे भी छा जाए क़यामत 'फ़ानी' ये मगर राह-ए-मोहब्बत की ज़मीं है हर ज़र्रे में है वुस्अत-ए-सहरा-ए-क़यामत