हो तेरी याद का दिल में गुज़र आहिस्ता आहिस्ता करे ये चाँद सहरा में सफ़र आहिस्ता आहिस्ता बहुत तेज़ी से दुनिया छीन लेगी जब तुझे मुझ से तू फिर इस दिल में ऐसे मत उतर आहिस्ता आहिस्ता कि हम धोके में रक्खें दोस्तों को ख़ुश-कलामी से हमें आ ही गया ये भी हुनर आहिस्ता आहिस्ता कहीं से एक वीरानी का साया फैलता आया हुए बे-रंग सब दीवार-ओ-दर आहिस्ता आहिस्ता न टूटे और कुछ दिन तुझ से रिश्ता इस तरह मेरा मुझे बर्बाद कर दे तू मगर आहिस्ता आहिस्ता ये ख़ामोशी यहाँ का हुस्न है रखना ख़याल इस का 'कमाल' इस दश्त-ए-वीराँ से गुज़र आहिस्ता आहिस्ता