होंगे वो जल्वा-गर कभी न कभी आएँगे बाम पर कभी न कभी ये यक़ीं है की मेरी उल्फ़त का होगा उन पर असर कभी न कभी खींच लाएगा मेरा जज़्बा-ए-दिल तुझ को ऐ बे-ख़बर कभी न कभी लाख हम से छुपा तो फिर क्या है ढूँड लेगा नज़र कभी न कभी शेर-गोई को आप की 'ताबाँ' होगा हासिल समर कभी न कभी