होंटों पे जो तेरे है ये मुस्कान मिरी जान ले जाएगी इक रोज़ मिरी जान मिरी जान सब होश गँवा बैठे तिरे चाहने वाले इस बात पे होना नहीं हैरान मिरी जान अपनों से कभी तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ नहीं करते अपनों को नहीं करते परेशान मिरी जान इस हँसने हँसाने से नहीं जाएगा कुछ भी इस में तो नहीं कोई भी नुक़सान मिरी जान चेहरे पे जमी धूल से क्यों भूल रहा है 'जाज़िब' हूँ मैं 'जाज़िब' मुझे पहचान मिरी जान