सब मा-सिवा-ए-इश्क़ फ़रेब-ए-सराब है मैं भी हूँ ख़्वाब मेरी जवानी भी ख़्वाब है है बू-ए-गुल कहीं कहीं रंग-ए-शराब है हर चीज़ में शरीक किसी का शबाब है मेरी नज़र सवाल है और बरमला सवाल उन की नज़र जवाब है और ला-जवाब है दिल कार-ज़ार-ए-इश्क़-ओ-वफ़ा में है पेश पेश तूफ़ाँ के सामने है अगरचे हबाब है शम्-ए-जमाल दोस्त की उफ़ रे तजल्लियाँ कौनैन एक दायरा-ए-इल्तिहाब है वो हुस्न इंतिख़ाब-ए-जहाँ है अगर तो हो मेरी भी दो जहाँ में नज़र इंतिख़ाब है आज़ाद-ए-दो-जहाँ हूँ सलामत ग़ुरूर-ए-इश्क़ अब मेरी बे-ख़ुदी भी ख़ुदी का जवाब है इरफ़ान-ए-दिल नहीं तुझे ऐ शिकवा-संज दोस्त इस आइने में राज़-ए-शुहूद-ओ-हिजाब है इक हुस्न-ए-बे-नियाज़ जहाँ था वहीं रहा वर्ना हर इंक़लाब के बा'द इंक़लाब है दुनिया-ए-इश्क दैर नहीं है हरम नहीं ये सरज़मीं वरा-ए-जहान-ए-ख़राब है तूफ़ाँ की ठोकरों में हमेशा से हूँ 'ज़फ़र' वो शम्अ' हूँ हवाओं में जो शो'ला-ताब है