होश अपना है न उस की कुछ ख़बर मुश्किल में हूँ क्या कहूँ ऐ नामा-बर मैं किस क़दर मुश्किल में हूँ घर से बाहर भी तआ'क़ुब में अजब इक ख़ौफ़ है दौड़ते हैं काटने को बाम-ओ-दर मुश्किल में हूँ ये अकेला-पन जो मेरा हमदम-ओ-दम-साज़ था वो भी साथ अपने उठा लाया है डर मुश्किल में हूँ हो गए बाज़ार वीराँ बाग़ ख़ाली हो गए बुझ गया सब शौक़ का शो'ला शरर मुश्किल में हूँ सख़्त मुश्किल में पड़े हैं कैसे कैसे बा-कमाल कब 'नियाज़त' मैं अकेला बे-हुनर मुश्किल में हूँ