होश-ओ-हवास-ओ-अक़्ल से बेगाना नहीं हूँ बे-शक जुनूँ में ग़र्क़ हूँ दीवाना नहीं हूँ वहशत से मिरी ख़ौफ़ न खा आ क़रीब आ मुझ पर तिरा ख़ुमार है मस्ताना नहीं हूँ मुझ में न तुम तलाश करो मय-कशों सुकूँ मैं रिंद-ए-बला-नोश हूँ मय-ख़ाना नहीं हूँ नादाँ समझ के मुझ पे इनायत है इस क़दर अच्छा है निगह-ए-यार में फ़रज़ाना नहीं हूँ चुप हूँ की आप आज भी मुझ को अज़ीज़ हैं साज़िश से वर्ना आप की अन-जाना नहीं हूँ 'तश्ना' हूँ मुझ से रख न तवक़्क़ो तू फ़ैज़ की शीशा तो दूर साग़र-ओ-पैमाना नहीं हूँ