बे-मा'नी ला-हासिल रद्दी शे'रों का है जाल उधर जो चीज़ें बे-कार हैं प्यारे उन चीज़ों को डाल उधर कुछ तज्वीज़ें पास करेगा वक़्त के हाथों ये इजलास मजबूर-ओ-नादार इधर हैं आसूदा ख़ुश-हाल उधर बीच में हाइल कर दे कोई काश तकल्लुफ़ की दीवार उधर है रेला गुल-चीनों का और गुलों में काल इधर ख़ून-ए-तमन्ना की सुर्ख़ी से दिल की हिकायत है रंगीं दामन की तक़दीर इधर है गुलशन का इक़बाल उधर उन की बज़्म से आने वाले थाम के दिल फ़रमाते हैं जाने वालो उधर न जाओ जुर्म है अर्ज़-ए-हाल उधर जल्सा-ए-ग़म की तय्यारी में उधर हैं जीते जी मसरूफ़ पैदाइश का जश्न मनाया यारों ने हर साल उधर इक मुद्दत से देख रहा हूँ होता है हर बार यही इधर 'सबा' ने ख़्वाब सजाया वक़्त ने बदली चाल उधर