हम अपने आप पे क़ाबू जो पा गए होते जो पल रही है वो नफ़रत मिटा गए होते बड़े सलीक़े से बाँटा है हम फ़क़ीहों को हम एक होते तो दुनिया पे छा गए होते ये भूक प्यास हमारे घरों की रौनक़ थी जो याद रखते तो हम घर में आ गए होते किसी की तल्ख़-कलामी मुआ'फ़ कर देते लगी है आग जो घर में बुझा गए होते ये चेहरा आज असर देख हम नहीं पाते हम इन की हाँ में अगर हाँ मिला गए होते