हम चोर नहीं हैं न उठा तू हमें दर से कुछ भाग नहीं जाएँगे ले कर तिरे घर से किस तरह निकालूँ तिरे नावक को जिगर से मेहमाँ को निकाला है किसी ने कहीं घर से ये देखते जाते हैं कोई देख न पाए आते हैं मिरे घर को जो वो ग़ैर के घर से अव्वल तो तिरे कूचे में जाने नहीं पाता और जाता है कोई तो कफ़न बाँध के सर से सहरा में है या कोह में है कुछ नहीं मालूम 'महमूद' को मुद्दत हुई निकले हुए घर से