हम हैं बस इज़्न-ए-सफ़र होने तक ख़ाक और ख़ाक-ब-सर होने तक कैसे कैसे हैं मराहिल दरपेश अपने होने की ख़बर होने तक क्या अजब वस्ल की ख़्वाहिश न रहे हिज्र की रात बसर होने तक दिल-ए-ख़ुश-फ़हम तिरी ख़ुश-फ़हमी मुंतशिर गर्द-ए-सफ़र होने तक सर-ब-सज्दा हैं दर-ए-'ग़ालिब' पर ख़ुश-सुख़न अहल-ए-नज़र होने तक