हम हैं बे-दिल दिल अपने पास नहीं आह इस का भी तुझ को पास नहीं बेवफ़ा कुछ नहीं तिरी तक़्सीर मुझ को मेरी वफ़ा ही रास नहीं क़त्ल मेरा है तेरी बद-नामी जान का वर्ना कुछ हिरास नहीं तू ही बेहतर है हम से आईने हम तो इतने भी रू-शनास नहीं यूँ ख़ुदा की ख़ुदाई बर-हक़ है पर 'असर' की हमें तो आस नहीं