हम हैं सर-ता-बा-पा तमन्ना कैसी उम्मीद क्या तमन्ना हो कितनी ही ख़ुश-गवार फिर भी है दिल के लिए बला तमन्ना देते हो पयाम-ए-आरज़ू तुम जब तर्क मैं कर चुका तमन्ना दुनिया को फ़रेब दे रही है जल्वा है सराब का तमन्ना अपनी मंज़िल पे हम न पहुँचे जब तक रही रहनुमा तमन्ना माबैन-ए-निगाह-ओ-जल्वा-ए-हुस्न है एक हिजाब सा तमन्ना उलझा रहा आरज़ू में ग़ाफ़िल क्यूँ ख़ुद ही न बन गया तमन्ना आवाज़ तो दो किसे पुकारूँ तुम हो मिरे दिल में या तमन्ना 'सीमाब' मआल-ए-शौक़ मालूम अम-लिल-इंसान-ए-मा-तमन्ना