हम हुए तस्वीर अब पहला सा वो आलम कहाँ रंग हैं सब पैरहन में खो गए हैं हम कहाँ मुज़्महिल है सुब्ह का शो'ला धुआँ है दश्त पर देखना है उड़ के जाती है मगर शबनम कहाँ दस्त-ए-क़ातिल के लिए होंटों पे अब भी मर्हबा ख़ून-ए-अहल-ए-दिल की ख़ातिर सीना-ए-मातम कहाँ दामन-ए-दिल में समेटे हैं अभी तूफ़ाँ कई सैल-ए-अश्क-ओ-नाला-ए-ग़म हो गए हैं कम कहाँ दिल धड़कता है हर इक आहट पे अहल-ए-हिज्र का जानते हैं वो कि आएगा कोई इस दम कहाँ उड़ के आता है ग़ुबार-ए-रहगुज़र आँखों में फिर ढूँढता हूँ खो गया है दीदा-पुर-नम कहाँ