हम जिधर हो उधर रौशनी दोस्तो अपने दम से मिटे तीरगी दोस्तो राह में पहले ठोकर लगी दोस्तो फिर सहायक बनी आगही दोस्तो आप की दोस्ती से बहुत कुछ मिला ज़िंदगी रौशनी रहबरी दोस्तो दिल कुशादा किया कर्ब को पी लिया धीरे धीरे कटी मुफ़लिसी दोस्तो मेरी कल पे कोई भी उधारी नहीं मैं ने हर दिन जिया आख़िरी दोस्तो ज़ख़्म के पेड़ पर बूँद फिर गिर पड़ी शाख़ फिर हो गई इक हरी दोस्तो