हम ठहरे बरबाद-ए-मोहब्बत आलम सारा जाने है दिल पे हमारे क्या गुज़रे है दिल ही हमारा जाने है ऐ साहिल से देखने वालो तुम को ये मालूम नहीं डूबने वाला क्यों तिनके को अपना सहारा जाने है तुम क्या जानो इश्क़-ए-बुताँ को तुम ने इश्क़ किया कब है उन की अदा-ए-जौर-ओ-सितम को दर्द का मारा जाने है हम भी हक़ीक़त जान रहे हैं बैठे बैठे ख़्वाबों की वो है नज़र का धोका जिस को दिल ये नज़ारा जाने है गलियों गलियों फिरता है जो दिल में तुम्हारी याद लिए दुनिया उस को पागल समझे और बेचारा जाने है आप इसे समझें न समझें हम को है मालूम 'मजीद' कोई तो है जो हम को अभी तक आँख का तारा जाने है