हम तो गुम हो गए हालात के सन्नाटे में हम ने कुछ भी न सुना रात के सन्नाटे में हर्फ़ नाकाम जहाँ होते हैं उन लम्हों में फूल खिलते हैं बहुत बात के सन्नाटे में शोर हंगामा सदा तब्ल-ओ-अलम नक़्क़ारे डूब जाते हैं सभी मात के सन्नाटे में रात पड़ते ही हर इक रोज़ उभर आती है किस के रोने की सदा ज़ात के सन्नाटे में ज़ेहन में फूलों की मानिंद खिला करते हैं हम ने वो पल जो चुने साथ के सन्नाटे में