हम वफ़ा करते हैं हम पर जौर कोई क्यूँ करे By Ghazal << मिरे क़रीब से गुज़रा इक अ... तुम को सोचा तीरगी में देर... >> हम वफ़ा करते हैं हम पर जौर कोई क्यूँ करे जब है बे-ग़ौरी तो ये भी ग़ौर कोई क्यूँ करे इल्तिजा-ए-वस्ल पर महशर में वो कहने लगे अपने वा'दे की वफ़ा फ़िल-फ़ौर कोई क्यूँ करे बात किस की बात मेरी कौन 'मुज़्तर' ध्यान दे हाल किस का हाल मेरा ग़ौर कोई क्यूँ करे Share on: