हम वो मजबूर कि हिजरत भी नहीं कर सकते या'नी आज़ादी की चाहत भी नहीं कर सकते अपने का'बे पे तो क़ब्ज़ा है अज़ाज़ीलों का हम तो अब खुल के इबादत भी नहीं कर सकते तुर्किया मस्त-ए-मय-ए-नाब अरब मस्त-ए-मआश अब तो वो मेरी हिमायत भी नहीं कर सकते क़ातिलो ठहरो ज़रा एक तो सज्दा कर लूँ क्या ज़रा सी ये रिआ'यत भी नहीं कर सकते जो भी था सब तो लुटा डाला है हज़रत अब क्या आप अब और सख़ावत भी नहीं कर सकते नाम रक्खा है मुसलमानों सा मर जाओ कि तुम क़ौम-ए-मुस्लिम से बराअत भी नहीं कर सकते 'दानिश-असरी’ ने बताई थी तुम्हें कल की ख़बर तुम तो अब उस से शिकायत भी नहीं कर सकते