हम से हुई कि आप से ये बहस है फ़ुज़ूल मिल कर चलो सुधार लें जो भी हुई है भूल किस शख़्स से हयात में होती नहीं है भूल कितनों में दम है भूल को अपनी करें क़ुबूल तन की ख़ुशी के वास्ते मन को न कर मलूल बदले में तू ज़मीर के हरगिज़ न ज़र क़ुबूल की बार बार आइना धोने की मैं ने भूल दर-अस्ल मेरा चेहरा था जिस पर जमी थी धूल ता-उम्र दिल में ऐ 'सदा' खटकेगी बन के शूल तू भूल कर भी भूल छुपाने की कर न भूल