हूँ ग़म-आश्ना आश्ना-ए-मोहब्बत दो-आलम में यूँ जगमगाए मोहब्बत अज़ल से हुई इब्तिदा-ए-मोहब्बत अबद तक रहेगी बक़ा-ए-मोहब्बत मोहब्बत के नग़्मे हैं उन के लबों पर बहुत ही हसीं है फ़ज़ा-ए-मोहब्बत दिल-ए-मुज़्तरिब पर गिराई थी बिजली क़यामत थी वो इक अदा-ए-मोहब्बत अज़ल से अबद तक चला जा रहा है जुलूस-ए-शहीदाँ ख़ुदा-ए-मोहब्बत न फ़ुर्क़त का यारा न क़ुर्बत गवारा न जाने है क्या मुद्दआ'-ए-मोहब्बत मेरा दीन-ओ-ईमाँ मोहब्बत मोहब्बत बनाए मोहब्बत मिटाए मोहब्बत तमाशा बने हैं वही 'दर्द' अक्सर बने हैं जो ख़ुद रहनुमा-ए-मोहब्बत