हुस्न हुस्न-ए-सिफ़ात क्या जाने आशिक़ी के निकात क्या जाने हो गया जो किसी का सौदाई वो हयात-ओ-ममात क्या जाने दिल का ईमान और ही कुछ है आशिक़ी ज़ात पात क्या जाने बादा-ए-दिल-फ़रोज़ से तौबा शैख़ राज़-ए-हयात क्या जाने हाँ लगा दी है जान की बाज़ी इश्क़ 'नाशाद' मात क्या जाने