झूटी दुनिया झूटी माया कौन है अपना कौन पराया उम्र गँवाई थाह न पाई इश्क़ में कुछ भी हाथ न आया प्रेम-नगर की रीत नई है जिस ने खोया उस ने पाया उन की ख़ुशी है याद न आएँ हम ने कब उन को दिल से भुलाया टूटे दिल को जोड़ न पाए इस को दिखाया उस को दिखाया दे ही दिया दिल उन को आख़िर बैठे बिठाए रोग लगाया ग़म के मारे ऐसे सोए जाग न पाए लाख जगाया कौन किसी का तेरे सिवा था तू ने बेड़ा पार लगाया जान गए हम 'नाशाद' आख़िर झूटे जग की झूटी माया