हुस्न की रंगीनियों का ज़िक्र हर महफ़िल में है शौक़ का तूफ़ाँ निहाँ लेकिन सुकूत-ए-दिल में है रहगुज़र भी राह-रौ भी राहबर भी दिल सदा गर किसी मंज़िल में है तो शौक़ की मंज़िल में है तुम ने देखा है तबस्सुम रंग और रानाइयाँ ज़ख़्म भी देखा कभी जो फूल के भी दिल में है वो भी मजबूर-ए-वफ़ा है मैं भी मजबूर-ए-वफ़ा मैं भी किस मुश्किल में हूँ और वो भी किस मुश्किल में है वो तबस्सुम वो निगह और वो अदाएँ ख़ास ख़ास रौशनी किन किन चराग़ों की न जाने दिल में है ता-दम-ए-आख़िर रहेंगे हसरतों के सिलसिले एक हसरत दिल से निकली एक हसरत दिल में है चल रहा हूँ मैं अगरचे कारवाँ के साथ एक तन्हाई का आलम हर क़दम पर दिल में है रहने दो लहरों पे मेरी कश्ती-ए-कुहना 'हबीब' ख़ूगर-ए-तूफ़ाँ की तुर्बत इक कफ़-ए-साहिल में है