हुस्न को मुतलक़न नहीं है सबात इश्क़ आया है पी कर आब-ए-हयात हिज्र में यूँ गुज़रते हैं लम्हात इक नफ़स मौत है तो एक हयात इश्क़ है मिशअल-ए-नज़र वर्ना ज़िंदगी क्या है इक अँधेरी रात अक़्ल की इस्तिक़ामतें तस्लीम लग़्ज़िश-ए-बे-ख़ुदी भी है इक बात मौत है ज़िंदगी से बे-ज़ारी ज़िंदगी क्या है आरज़ू-ए-हयात ख़ुल्द-परवर है हर निगाह-ए-सहर ये ख़त-ए-जाम है कि राह-ए-नजात