हुस्न को शक्लें दिखानी आ गईं शोख़ियाँ ले कर जवानी आ गईं सर में सौदा दिल में दर्द आँखों में अश्क बस्तियाँ हम को बसानी आ गईं जो बिगड़ जाता था बातों पर कभी अब उसे बातें बनानी आ गईं दिल में लाखों दाग़ रौशन हो गए इश्क़ को शमएँ जलानी आ गईं बर्क़-ओ-बाराँ के जिलौ में बदलियाँ साथ ले कर आग पानी आ गईं ऐ दिल-ए-राहत-तलब हुश्यार-बाश साअतें अब इमतिहानी आ गईं दिल लगा कर फँस गए ज़हमत में हम थीं बलाएँ जितनी आनी आ गईं मुस्कुरा देना क़यामत हो गया बिजलियाँ तुम को गिरानी आ गईं डर रहे थे जिन से अर्बाब-ए-जहाँ वो बलाएँ आसमानी आ गईं 'नूह' वो कहते हैं फिर तूफ़ान उठे क़ुव्वतें अब आज़मानी आ गईं