हुस्न क्या और दिलकशी क्या थी तुम न होते तो ज़िंदगी क्या थी आस जागी न थी अगर दिल में हल्की हल्की सी रौशनी क्या थी उस को अक्सर उदास देखा है उस की महफ़िल में कुछ कमी क्या थी ग़ैर भी हम से अब ये पूछेंगे तन्हा तन्हा हो बेबसी क्या थी मिटते मिटते भी आस कहती है तुम जो आते तो बात ही क्या थी हम पे गुज़री तो जाना हम ने भी दिल की धड़कन की बे-कली क्या थी 'राग' उस ने जो फेर लीं आँखें दिल लगाना भी दिल-लगी क्या थी