हुस्न पर दस्तरस की बात न कर ये हवस है हवस की बात न कर पूछ अगले बरस में क्या होगा मुझ से पिछले बरस की बात न कर ये बता हाल क्या है लाखों का मुझ से दो चार दस की बात न कर ये बता क़ाफ़िले पे क्या गुज़री महज़ बाँग-ए-जरस की बात न कर इश्क़-ए-जान आफ़रीं का हाल सुना हुस्न-ए-ईसा नफ़स की बात न कर ये बता 'अर्श' सोज़ है कितना साज़ पर दस्तरस की बात न कर