हुस्न-ए-ग़ज़ल बद-हाली में सारे दीवाँ नाली में कौन सुनेगा मेरी बात सब तो मगन हैं ताली में अदना आ'ला सब ख़ुश हैं गुन हैं जनाब-ए-आली में फूल खिले हैं होंटों पर ख़ुशबू जिस्म की डाली में लम्बी ज़ुल्फ़ें साँवला जिस्म हुस्न तो है बंगाली में ग़ज़लें होती हैं 'आसिम' मैं जब डूबूँ प्याली में