हुस्न-ए-ज़न काम लीजे बद-गुमानी फिर सही बे-तकल्लुफ़ और कीजे मेहरबानी फिर सही आज जो बीती है दिल पर माजरा उस का सुनो दास्तान-ए-इशरत-ए-अहद-ए-जवानी फिर सही ज़र्फ़ से कम वक़्त से पहले नहीं मिलती यहाँ आज ज़हर-ए-ग़म ही पी लो अर्ग़वानी फिर सही तेग़ किस के हाथ में थी कौन था सीना-सिपर ये कहानी आज सुन लो वो कहानी फिर सही शम्-ए-फ़ानूस-ए-तलब हर रंग में रौशन रहे ख़ूँ-फ़िशानी के मज़े लो गुल-फ़िशानी फिर सही ज़ेहन को मानूस कर देता है लफ़्ज़ों का तिलिस्म मुद्दआ कह दीजिए जादू-बयानी फिर सही किस में हिम्मत है 'फ़रीदी' कौन ये उन से कहे मुस्कुरा कर हाल सुन लो लन-तरानी फिर सही