आइए जल्वा-ए-दीदार के दिखलाने को फूँक दे बर्क़-ए-तजल्ली मिरे काशाने को देखिए कौन सी जा यार का मिलता है पता कोई का'बे को चला है कोई बुत-ख़ाने को तेरी फ़ुर्क़त में तसव्वुर है ये बेदर्दी का ख़्वाब हम जानते हैं नींद के आ जाने को बा'द मेरे जो हुआ दश्त में मजनूँ का गुज़र रो दिया देख के ख़ाली मिरे वीराने को काम आ जाती है हम-बज़्मी भी रौशन दिल की शम्अ' हम-रंग बना लेती है परवाने को आज फिर शहर के कूचे नज़र आते हैं उदास किस तरफ़ ले गई वहशत तिरे दीवाने को ऐ जुनूँ तंग हुई वुसअ'त-ए-सहरा तुझ से अब कहाँ जाए तबीअ'त कोई बहलाने को गुल पे बुलबुल था कहीं शम्अ' पे परवाना था हम ने हर रंग में देखा तिरे परवाने को वा-शुद-ए-दिल न हुई ग़ुंचा-ए-ख़ातिर न खिला कौन से बाग़ में आए थे हवा खाने को मैं ने जब वादी-ए-ग़ुर्बत में क़दम रक्खा था दूर तक याद-ए-वतन आई थी समझाने को