इब्न-ए-मरियम की शफ़ाअत शोख़ी-ए-ईजाद तक ख़ानुमाँ तामीर-ए-नौ शुद ख़ानुमाँ बर्बाद तक फिर कि आज़ा-ए-मजालिस ख़ुद किए जाने लगे दाद-ए-फ़न तकमील-ए-सोज़िश उन के वाँ इरशाद तक आशिक़ी मुझ बे-नवा की मुस्तनद कब क्या रही चल रहे हैं सहरा सहरा क़ैस से फ़रहाद तक कू-ब-कू मातम बपा है दू-ब-दू गर्दन कटी आमद-ए-इंसान है फिर दार पर सय्याद तक क्या हुआ मंसूर का इतना तनाज़ा इस क़दर तानज़ा था हक़ का मुक़द्दम हक़ के ही औराद तक दिल के अज्ज़ा अब ख़रीदे जा रहे हैं शौक़ से दिल जुदा है दम दवा से साअ'त-ए-उफ़्ताद तक ये तसव्वुफ़ तौर-ए-मरहम शाइरी का ढब कहाँ है 'अबाँ' मौज-ए-ग़ज़ल उर्दू का है उस्ताद तक