इधर भी देख ज़रा बे-क़रार हम भी हैं तिरे फ़िदाई तिरे जाँ-निसार हम भी हैं बुतो हक़ीर न समझो हमें ख़ुदा के लिए ग़रीब बाँदा-ए-परवर-दिगार हम भी हैं कहाँ की तौबा ये मौक़ा है फूल उड़ाने का चमन है अब्र है साक़ी है यार हम भी हैं मिसाल-ए-ग़ुंचा उधर ख़ंदा-ज़न है वो गुल-ए-तर मिसाल-ए-अब्र इधर अश्क-बार हम भी हैं जिगर ने दिल से कहा दर्द-ए-हिज्र-ए-जानाँ में कि एक तू ही नहीं बे-क़रार हम भी हैं मुदाम सामने ग़ैरों के बे-नक़ाब रहे इसी पे कहते हो तुम पर्दा-दार हम भी हैं हमें भी दीजिए अपनी गली में थोड़ी जगह ग़रीब बल्कि ग़रीब-उद-दयार हम भी हैं शगुफ़्ता बाग़-ए-सुख़न है हमीं से ऐ 'साबिर' जहाँ में मिस्ल-ए-नसीम-ए-बहार हम भी हैं