इज्ज़-ए-अहल-ए-सितम की बात करो इश्क़ के दम-क़दम की बात करो बज़्म-ए-अहल-ए-तरब को शरमाओ बज़्म-ए-असहाब-ए-ग़म की बात करो बज़्म-ए-सर्वत के ख़ुश-नशीनों से अज़मत-ए-चश्म-ए-नम की बात करो है वही बात यूँ भी और यूँ भी तुम सितम या करम की बात करो ख़ैर हैं अहल-ए-दैर जैसे हैं आप अहल-ए-हरम की बात करो हिज्र की शब तो कट ही जाएगी रोज़-ए-वस्ल-ए-सनम की बात करो जान जाएँगे जानने वाले 'फ़ैज़' फ़रहाद ओ जम की बात करो