इक हुजूम-ए-ग़म-ओ-कुलफ़त है ख़ुदा ख़ैर करे जान पर नित-नई आफ़त है ख़ुदा ख़ैर करे जाए-माँदन हमें हासिल है न पाए-रफ़तन कुछ मुसीबत सी मुसीबत है ख़ुदा ख़ैर करे आ चला उस बुत-ए-अय्यार की बातों का यक़ीं सादगी अपनी क़यामत है ख़ुदा ख़ैर करे रहनुमाओं को नहीं ख़ुद भी पता रस्ते का राह-रौ पैकर-ए-हैरत है ख़ुदा ख़ैर करे