इक तसव्वुर तो है तस्वीर नहीं ख़्वाब है ख़्वाब की ता'बीर नहीं ये रिहाई की तमन्ना क्या है जब मिरे पाँव में ज़ंजीर नहीं सुब्ह मेरी तरह आबाद नहीं शाम मेरी तरह दिल-गीर नहीं क्यूँ उभर आया तिरी याद का चाँद जब उजाला मिरी तक़दीर नहीं संग में फूल खिलाने वालो फ़न यहाँ बाइस-ए-तौक़ीर नहीं बात कहने का सलीक़ा है ग़ज़ल शाइरी हुस्न है तक़रीर नहीं दिल उसी आग में जलता है 'ज़फ़र' हाए जिस आग में तनवीर नहीं