इक तस्वीर पिया की उभरी मंज़र से भोली लड़की जा टकराई पत्थर से ऐसी प्यारी शाम में जी बहलाने को पाँव निकाले जा सकते हैं चादर से पहले पहले इश्क़ में अक्सर होता है अच्छे अच्छे लग जाते हैं बिस्तर से ऐसे हम पर उस का हिज्र मुसल्लत है जैसे कोई मरता जाए कैंसर से ताज़ा करवट पर तारीख़ की लिख्खा है चंद जिहादी सब्क़त ले गए हिटलर से