इल्म को अपने बा-वक़ार करो जाहिलों में मिरा शुमार करो दोस्त सब काम कर चुके अपना सोचते क्या हो तुम भी वार करो फ़न किसे चाहिए सो ऐसे में बस तरन्नुम का कारोबार करो पगड़ी आई तो सर भी आएगा और कुछ देर इंतिज़ार करो दिन में ता'बीरें टूटती देखो रात भर ख़्वाब का शिकार करो बोझ है सर भी जिन के काँधों पर ऐसे लोगों से ख़ूब प्यार करो तैर कर लोग डूब जाते हैं डूब कर आज दरिया पार करो कौन 'फ़रहत' वो हक़-नवा 'फ़रहत' बे-तकल्लुफ़ उसे शिकार करो