ईमाँ के साथ ख़ामी-ए-ईमाँ भी चाहिए अज़्म-ए-सफ़र किया है तो सामाँ भी चाहिए कुछ अस्ल तो खुले कहीं इस ज़ोर-ओ-शोर की दरिया के रास्ते में बयाबाँ भी चाहिए भड़का तो है बदन में लहू का गुलाब सा मुश्किल है ये कि तंगी-ए-दामाँ भी चाहिए उस के नई क़मीस के तोहफ़े का शुक्रिया लेकिन यहाँ तो पैरहन-ए-जाँ भी चाहिए इस तीरगी में परतव-ए-महताब-ए-रुख़ के साथ कुछ अक्स-ए-आफ़्ताब-ए-गरेबाँ भी चाहिए मुश्किल-पसंद ही सही मैं वस्ल में मगर अब के ये मरहला मुझे आसाँ भी चाहिए कुछ उस तरफ़ भी जोश-ए-जफ़ा है नया नया कुछ ज़ुल्म अपनी शान के शायाँ भी चाहिए डरते भी रहिए उस से कि इस में भी है मज़ा लेकिन कभी कभी ज़रा शूँ-शाँ भी चाहिए मश्शातागी-ए-मअ'ना बहुत हो चुकी 'ज़फ़र' कुछ रोज़ अब ये ज़ुल्फ़ परेशाँ भी चाहिए