इमरोज़ की कश्ती को डुबोने के लिए हूँ कल और किसी रंग में होने के लिए हूँ तू भी है फ़क़त अपनी शहादत का तलबगार मैं भी तो इसी दर्द में रोने के लिए हूँ जीने का तक़ाज़ा मुझे मरने नहीं देता मर कर भी समझता हूँ कि होने के लिए हूँ हाथों में मिरे चाँद भी लगता है खिलौना ख़्वाबों में फ़लक रंग समोने के लिए हूँ हर बार ये शीशे का बदन टूट गया है हर बार नए एक खिलौने के लिए हूँ परदेस की रातों में बहुत जाग चुका मैं अब घर का सुकूँ ओढ़ के सोने के लिए हूँ सीने में कोई ज़ख़्म कि खुलने के लिए है आँखों में कोई अश्क कि रोने के लिए हूँ सादा सी कोई बात नहीं भूक शिकम की ईमान भी रोटी में समोने के लिए हूँ वो दश्त-ओ-बयाबान में इज़हार का ख़्वाहाँ मैं अपने चमन-ज़ार में रोने के लिए हूँ ग़ारों का सफ़र है कि मुकम्मल नहीं होता मैं अपनी ख़बर आप ही ढोने के लिए हूँ सूरज को निकलने में ज़रा देर है 'अहमद' फिर ज़ात का हर रंग मैं खोने के लिए हूँ