इन अश्कों को पानी कहना भूल नहीं नादानी है तन-मन में जो आग लगा दे ये तो ऐसा पानी है हिज्र की घड़ियाँ देख चुके हैं मौत का हम को ख़ौफ़ नहीं ये सूरत तो देखी-भाली है जानी-पहचानी है कैसे तुम से इश्क़ हुआ था क्या क्या हम पर बीत रही है सुन लो तो सच्चा अफ़्साना वर्ना एक कहानी है मुफ़्लिस बंदों पर मत हँसना धन-दौलत के पहरेदारो ये दुनिया है इस दुनिया की हर शय आनी-जानी है शैख़-ओ-बरहमन ज़ाहिद-ओ-वाइ'ज़ बूढ़े-खूसट क्या जानें भूल भी हो जाती है इस में इस का नाम जवानी है