इन बुतों की जो चाह करते हैं दिल-ओ-दीं को तबाह करते हैं हम जो हूरों से राह करते हैं वाइ'ज़ो क्या गुनाह करते हैं उन से हम रस्म-ओ-राह करते हैं वो ख़राब-ओ-तबाह करते हैं क्या उठाएँगे तेरे जौर रक़ीब हम हैं ये जो निबाह करते हैं मय-कशों को बुरा न कह वाइज़ क्या ये तेरा गुनाह करते हैं देखना दम में पेश-ए-दावर-ए-हश्र फ़ैसला दाद-ख़्वाह करते हैं शौक़ से आओ ख़ाना-ए-दिल में आँखें हम फ़र्श-ए-राह करते हैं शुक्र है मुझ को अपनी बज़्म में वो याद अब गाह गाह करते हैं देखना हम रक़ीब से मिल कर दिल में उस बुत के राह करते हैं दिल मिरा आप ही है ख़ाना-ख़राब आप इसे क्यों तबाह करते हैं बंदे तेरे ही इश्क़ के हैं सनम हम ख़ुदा को गवाह करते हैं हाए जब मर चुका हूँ तो वो अब नामा अपना स्याह करते हैं हम को मिलता है रिज़्क़ बे-मिन्नत शुक्र-ए-फ़ज़्ल-ए-इलाह करते हैं इन हसीनों से इतना कह दो 'दिलेर' थाम लें दिल हम आह करते हैं