इन मौसमों में नाचते गाते रहेंगे हम हँसते रहेंगे शोर मचाते रहेंगे हम लब सूख क्यूँ न जाएँ गला बैठ क्यूँ न जाए दिल में हैं जो सवाल उठाते रहेंगे हम अपनी रह-ए-सुलूक में चुप रहना मना है चुप रह गए तो जान से जाते रहेंगे हम निकले तो इस तरह कि दिखाई नहीं दिए डूबे तो देर तक नज़र आते रहेंगे हम दुख के सफ़र पे दिल को रवाना तो कर दिया अब सारी उम्र हाथ हिलाते रहेंगे हम