इंतिहा-ए-इश्क़ का इस दिन तमाशा देखना तुम मिरे ग़र्क़ाब होने का नज़ारा देखना सामने तूफ़ान है और दिल में है अज़्म-ए-सफ़र मैं समुंदर देखता हूँ तुम किनारा देखना छीन ली ख़ुश-फ़हमियों ने हम से जब बीनाई भी बे-हिसी इस दर्जा हो तो आइना क्या देखना दस्तकों पर दस्तकें हैं हर दर-ए-एहसास पर अपनी बर्बादी का ना हो कुछ इशारा देखना उस के कूचे से निकल कर आ गए तो फिर 'नफ़ीस' हर दयार-ए-नाज़ में ख़ून-ए-तमन्ना देखना