इरादे ही पैरों के छाले हुए हैं सफ़र हादसों के हवाले हुए हैं तमन्ना बहुत थी ख़ुशी मिल न पाई हवन में जले हाथ काले हुए हैं कोई ग़म नहीं अपने जलने का हम को तिरी राह में तो उजाले हुए हैं न टूटे कोई ख़्वाब पलकों से गिर कर छलकते हैं नैन हम सँभाले हुए हैं अभी तक है साँसों में ख़ुशबू गुलों की चमन से कभी के निकाले हुए हैं गिरे जाने किस पहलू आ कर ज़मीं पर ये जीवन का सिक्का उछाले हुए हैं